Saturday 27 June 2020

मक्के की उन्नत खेती करके लाभ कैसे उठाएं??

परिचय :-  मक्का खरीफ ऋतु की फसल है परंतु जहां सिंचाई के साधन है  वहा रबी और खरीफ की अगेती किस्म की खेती की जा सकती है। मक्का का उपयोग चपाती, भुट्टे सेक कर, पॉपकॉर्न, दलिया, मुर्गी दाना, पशुओं के लिए चारा, उद्योगो में चॉकलेट , कोकाकोला के लिए कोर्न सिरप आदि के काम में लाया जाता है बेबी कॉर्न का पौष्टिक मूल्य अन्य सब्जियों से अधिक होता है

जलवायु एवं भूमि:- मक्का उष्ण एवम् आद्र जलवायु की फसल है। उचित जलनिकास वाली मृदा उत्तम माना जाता है
 
खेत की तैयारी :- जून माह में पहली बरसात के बाद है है हैरो या कल्टीवेटर से अच्छे से की जुताई करके पाटा चला देना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद एवं वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करना चाहिए।

बुवाई का समय:-  खरीफ जून से जुलाई तक
                          रबी  अक्टूबर से नवंबर तक
                           जायद फरवरी से मार्च तक

मक्का की किस्में:- 
अल्प अवधि वाली किस्में (80-90 दिन) :- प्रो एग्रो-4212 (बायर), प्रकाश, विवेक शंकर-9, PHM-5, नर्मदा मोती
मध्यम अवधि वाली किस्में ( 90-95 दिन ):- हाई सेल(एमसीएच-42), बायो-9637, प्रताप मक्का-5
दीर्घ अवधि वाली किस्में ( 95-110 दिन) :- गोल्ड, प्रो-4640, बायो-9544, NK-30
प्रोटीन मक्का:- शक्तिमान-4, शक्तिमान-2, विवेक, शक्ति-1
स्वीटकार्न:- माधुरी, HSC-1
पॉपकॉर्न :- अम्बर पॉपकॉर्न, वी एल पॉपकॉर्न
बेबीकॉर्न :- वी एल बेबीकॉर्न:-1
रबी की किस्में:- प्रो-379, पी.-3522

कंपोजिट मक्का किस्म:-
सामान्य अवधि :- चंदन मक्का-1
अल्प अवधि :- चंदन मक्का-3,
अत्यंत अल्प अवधि:- चंदन सफेद मक्का -2

बीज की मात्रा:- संकर मक्का:- 12-15 किलो/हे.
                      कंपोजिट मक्का :- 15-20 किलो/हे.
                       चारे वाली मक्का :- 40-50 किलो/हे.

बीजोपचार:- बीज बोने के पूर्व फफुंदनाशक थायरम 2.5-3 ग्रा./कि. बीज एवम् पीएसबी कल्चर से 5-10 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करके बुआई करना चाहिए।

मक्का पौध अंतरण:-   
1.शीघ्र पकने वाली:- कतार से कतार 60cm पौधे से पौधे 20cm
2.मध्यम/देरी से पकने वाली:-कतार से कतार-75cm पौधे से पौधे- 25cm
3.हरे चारे वाली :- कतार से कतार-40cm पौधे से पौधे 25cm


 मक्के की बुआई:-    वर्षा प्रारंभ होने के पहले सप्ताह में ही खेत की तैयारी की बुआई कार्य किया जा सकता है 3-5 से.मी. की गहराई में करना अच्छा माना जाय है प्रति हे. पौधों की संख्या 55-80 हजार रखना चाहिए

खाद एवम् उर्वरक:- भूमि तैयारी करते समय 6-8 टन अच्छी सडी हुई गोबर की खाद एवम् NPK 120:60:40 kg/hec. पर्याप्त होता है

निदाई गुड़ाई:- मक्के की फसल में ए एक महत्वपूर्ण कार्य होता है जिसे सही समय पर करना लाभप्रद होता है। रासायनिक दवा भी उपयोग में ला सकते है एट्राजिन 600-800gm/एकड़ का छिड़काव अंकुरण से पूर्व करना चाहिए

सिंचाई:- पुष्पन एवम् दाने भरने के समय दो सिंचाई जरूरी होता है


पौध संरक्षण:
A. कीट प्रबंधन:
1. तना भेदक :- बुआई के 20-25 दिन बाद corbofuran 3g 20 कि.ग्रा./हे.
2. माहो :- imidaclorpid 200sl 150 मि.ली./हे.
3. भुट्टे की इल्ली:- प्रोपेनोफॉस 50ec 1500 मि.ली./हे.
4. कम्बल कीड़ा:- प्रोपेनोफॉस 40ec+ Cypermethrin 4ec 1500 मि.ली./हे.

B. रोग प्रबंधन:-
 अंगमारी  , शीघ्र अंगमारी    :- हेक्साकोनाजोल (1 मि.ली./ली पानी)     

कटाई एवम् गहाई:- जब मक्का पक कर तैयार हो जाए कटाई कर लेनी चाहिए । सेलर की मदद से गहाई कार्य किया जाता है। थ्रेसर से गहाई किया जा सकता है

उपज :- 
1. शीघ्र पकने वाली:- 50-60 कुं./हे.
2. मध्यम पकने वाली :- 60-65 कुं/हे.
3. देरी से पकने वाली:- 65-70 कुं/हे.

भंडारण:-
धूप में अच्छी तरह सूखा ले कि आद्रता करीब 12% रहे। क्रिकफास 3 ग्राम की गोली/कुं. दाने के हिसाब से ड्रम में रखना चाहिए।

  सदैव कृषकों के हित में तत्पर Kishanhelp@Suraj


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