Monday 6 July 2020

धान उत्पादन की आधुनिक श्री पद्धति क्या है???

परिचय :- 
   श्री  पद्धति एक ऐसी तकनीक है जिसमें धान नर्सरी, रोपाई, उर्वरक, जल एवम् खरपतवार का प्रबंधन इस प्रकार किया जाता है कि धान की अधिक से अधिक एवम् लंबी वजनी बालियां प्राप्त हो जिससे उत्पादन अधिक हो। इस पद्धति में धान के एक पौधे में 80-100 कंसे प्राप्त होते है एवम् कम बीज के साथ साथ कम मात्रा में रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है। 

 
धान की श्री विधि से लाभ:-
१. धान के उत्पादन में 20-25 प्रतिशत वृद्धि ।
२. धान की खेती में 30-40 प्रतिशत जल की बचत ।
३. रासायनिक उर्वरकों की खपत में कमी ।
४. भूमि की संरचना एवम् उर्वरता में सुधार ।
५. बीमारियों एवम् कीटो का प्रकोप में कमी ।

 धान की श्री विधि की सिद्धांत :- 
१. 8-12 दिन उम्र के पौधे की रोपाई ।
२. एक स्थान पर मिट्टी सहित एक पौध की रोपाई ।
३. वर्गाकार रोपाई ( 25*25 cm) 
४. कार्बनिक व जैविक खादों के द्वारा पोषक तत्वों का प्रबंधन ।
५. यंत्रों की सहायता से निराई गुड़ाई।
६. नियंत्रित जल प्रबंधन ।

बीज की मात्रा :- 2kg/ एकड़ या 6kg/हेक्टेयर बीज

बीज उपचार :- 
१. बीज को 17% नमक और पानी के घोल ।
२. क्लोरोपाइरीफॉस 3ग्रा./कि.ग्रा. बीज ।
३. बविस्टीन 3 ग्रा/कि. ग्रा. बीज ।
४. ट्राईकोडर्मा 7.5 ग्रा. के साथ पीएसबी कल्चर 6 ग्रा/कि. ग्रा. बीज ।
५. कार्बेन्डाजिम 2 ग्रा / कि ग्रा बीज ।

श्री विधि में नर्सरी तैयार करने की विधि :-
१. इस विधि में 400 वर्ग फिट जगह में 2 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होता है पौधे की बढ़वार एवम् स्वस्थ, मजबूत  नर्सरी तैयार हो जाता है।
२. नर्सरी के चारो ओर जलनिकास हेतु पर्याप्त नाली बनाना चाहिए।
३. नर्सरी में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद डालना चाहिए जिससे पौधे की विकास अच्छे से हो ।
४. 8-12 की पौधे को रोपाई हेतु अच्छा माना जाता है।

रोपाई दूरी :- 
           पौधे से पौधे - 25*25cm
           कतार से कतार - 25*25cm 

श्री विधि से धान की रोपाई :- 
१. खेत की तैयारी करते समय 8-10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ डालना चाहिए रासायनिक खाद कम से कम उपयोग करना चाहिए।
२. खेत के चारों ओर पर्याप्त जलनिकास हेतु 6-8 इंच नाली बनाना चाहिए।
३. रोपाई के समय खेत में 1 इंच से कम पानी होना चाहिए।
४. नर्सरी से निकाल  गया पौधा तुरंत निकाल करके उसी दिन लगाना चाहिए।
५. कतार में लगाने के लिए मार्कर का उपयोग किया जाता है उपलब्ध ना होने पर रस्सी में टैग लगाकर उपयोग किया जाता है।


श्री विधि में निंदाई(खरपतवार नियंत्रण) :-
१. रोपाई के 12-15 दिन बाद खेत में 1-2 इंच पानी हो तो अंबिका पैडी वीडर चलाना चाहिए।
२. पैडी वीडर चलाने से पौधों के जड़ के पास मिट्टी ढीला हो जाता है जिससे अधिक कंसे निकलने में मदद होती है।
३. द्वितीय एवम् तृतीय बार वीडर का उपयोग 12-15 दिन के अंतराल पे करते है।

अंबिका पैडी वीडर
        

श्री विधि में कीट प्रबंधन :- 
१. फसल चक्र एवम् किस्म चयन :- धान के बाद चना, (गंगई, भूरा माहों) के लिए कर्मा मासुरी एवम् दंतेश्वरी
२. फसल प्रबंधन :- 0.2% क्लोरपायरीफॉस बीजउपचार
३. निगरानी :- प्रकाश प्रपंच, फेरोमोन ट्रैप, हस्तजाल
४. मित्र जीव संवर्धन :- 
५. रासायनिक उपचार :-
भूरा माहों - इमिडाक्लोप्रिड 200SL 125ml/हे.

कटुआ इल्ली - क्विनालफॉस 25EC 1000ml/हे.



पत्ती मोड़क - फिपरोनिल 5SC 800ml/ हे.


श्री विधि में रोग प्रबंधन :- 
१. झुलसा रोग :- प्रतिरोधी किस्म कर्मा मासूरी, ट्राइसाइक्लाजोल 6 ग्रा./10 ली. पानी 

२. पर्णच्छद विगलन रोग :- प्रतिरोधी किस्म दंतेश्वरी, हेक्साकोनाजोल 1ml/li पानी

३. खैरा रोग :- 25kg जिंक सल्फेट/हे.. 


श्री विधि में धान की उपज :- 
१. श्री विधि में 80-100 कंसे निकलते है प्रत्येक कंसे में 170-220 तक भरे दाने होते है।
२. श्री विधि में 55-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज होता है


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Saturday 27 June 2020

मक्के की उन्नत खेती करके लाभ कैसे उठाएं??

परिचय :-  मक्का खरीफ ऋतु की फसल है परंतु जहां सिंचाई के साधन है  वहा रबी और खरीफ की अगेती किस्म की खेती की जा सकती है। मक्का का उपयोग चपाती, भुट्टे सेक कर, पॉपकॉर्न, दलिया, मुर्गी दाना, पशुओं के लिए चारा, उद्योगो में चॉकलेट , कोकाकोला के लिए कोर्न सिरप आदि के काम में लाया जाता है बेबी कॉर्न का पौष्टिक मूल्य अन्य सब्जियों से अधिक होता है

जलवायु एवं भूमि:- मक्का उष्ण एवम् आद्र जलवायु की फसल है। उचित जलनिकास वाली मृदा उत्तम माना जाता है
 
खेत की तैयारी :- जून माह में पहली बरसात के बाद है है हैरो या कल्टीवेटर से अच्छे से की जुताई करके पाटा चला देना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद एवं वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करना चाहिए।

बुवाई का समय:-  खरीफ जून से जुलाई तक
                          रबी  अक्टूबर से नवंबर तक
                           जायद फरवरी से मार्च तक

मक्का की किस्में:- 
अल्प अवधि वाली किस्में (80-90 दिन) :- प्रो एग्रो-4212 (बायर), प्रकाश, विवेक शंकर-9, PHM-5, नर्मदा मोती
मध्यम अवधि वाली किस्में ( 90-95 दिन ):- हाई सेल(एमसीएच-42), बायो-9637, प्रताप मक्का-5
दीर्घ अवधि वाली किस्में ( 95-110 दिन) :- गोल्ड, प्रो-4640, बायो-9544, NK-30
प्रोटीन मक्का:- शक्तिमान-4, शक्तिमान-2, विवेक, शक्ति-1
स्वीटकार्न:- माधुरी, HSC-1
पॉपकॉर्न :- अम्बर पॉपकॉर्न, वी एल पॉपकॉर्न
बेबीकॉर्न :- वी एल बेबीकॉर्न:-1
रबी की किस्में:- प्रो-379, पी.-3522

कंपोजिट मक्का किस्म:-
सामान्य अवधि :- चंदन मक्का-1
अल्प अवधि :- चंदन मक्का-3,
अत्यंत अल्प अवधि:- चंदन सफेद मक्का -2

बीज की मात्रा:- संकर मक्का:- 12-15 किलो/हे.
                      कंपोजिट मक्का :- 15-20 किलो/हे.
                       चारे वाली मक्का :- 40-50 किलो/हे.

बीजोपचार:- बीज बोने के पूर्व फफुंदनाशक थायरम 2.5-3 ग्रा./कि. बीज एवम् पीएसबी कल्चर से 5-10 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करके बुआई करना चाहिए।

मक्का पौध अंतरण:-   
1.शीघ्र पकने वाली:- कतार से कतार 60cm पौधे से पौधे 20cm
2.मध्यम/देरी से पकने वाली:-कतार से कतार-75cm पौधे से पौधे- 25cm
3.हरे चारे वाली :- कतार से कतार-40cm पौधे से पौधे 25cm


 मक्के की बुआई:-    वर्षा प्रारंभ होने के पहले सप्ताह में ही खेत की तैयारी की बुआई कार्य किया जा सकता है 3-5 से.मी. की गहराई में करना अच्छा माना जाय है प्रति हे. पौधों की संख्या 55-80 हजार रखना चाहिए

खाद एवम् उर्वरक:- भूमि तैयारी करते समय 6-8 टन अच्छी सडी हुई गोबर की खाद एवम् NPK 120:60:40 kg/hec. पर्याप्त होता है

निदाई गुड़ाई:- मक्के की फसल में ए एक महत्वपूर्ण कार्य होता है जिसे सही समय पर करना लाभप्रद होता है। रासायनिक दवा भी उपयोग में ला सकते है एट्राजिन 600-800gm/एकड़ का छिड़काव अंकुरण से पूर्व करना चाहिए

सिंचाई:- पुष्पन एवम् दाने भरने के समय दो सिंचाई जरूरी होता है


पौध संरक्षण:
A. कीट प्रबंधन:
1. तना भेदक :- बुआई के 20-25 दिन बाद corbofuran 3g 20 कि.ग्रा./हे.
2. माहो :- imidaclorpid 200sl 150 मि.ली./हे.
3. भुट्टे की इल्ली:- प्रोपेनोफॉस 50ec 1500 मि.ली./हे.
4. कम्बल कीड़ा:- प्रोपेनोफॉस 40ec+ Cypermethrin 4ec 1500 मि.ली./हे.

B. रोग प्रबंधन:-
 अंगमारी  , शीघ्र अंगमारी    :- हेक्साकोनाजोल (1 मि.ली./ली पानी)     

कटाई एवम् गहाई:- जब मक्का पक कर तैयार हो जाए कटाई कर लेनी चाहिए । सेलर की मदद से गहाई कार्य किया जाता है। थ्रेसर से गहाई किया जा सकता है

उपज :- 
1. शीघ्र पकने वाली:- 50-60 कुं./हे.
2. मध्यम पकने वाली :- 60-65 कुं/हे.
3. देरी से पकने वाली:- 65-70 कुं/हे.

भंडारण:-
धूप में अच्छी तरह सूखा ले कि आद्रता करीब 12% रहे। क्रिकफास 3 ग्राम की गोली/कुं. दाने के हिसाब से ड्रम में रखना चाहिए।

  सदैव कृषकों के हित में तत्पर Kishanhelp@Suraj


Friday 26 June 2020

किसान क्रेडिट कार्ड के फायदे एवम् कैसे बनवाएं ?

KCC:  कैसे बनवाएं किसान क्रेडिट कार्ड, कौन से डॉक्युमेंट जरूरी,सि 4% की दर से मिलता है लोन!

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का छोटे किसानों के लिए बेहद काम की योजना है. इसके जरिए किसानों को 1.6 लाख रुपये का लोन बिना गारंटी के दिया जा रहा है.

Kisan Credit Card: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का छोटे किसानों के लिए बेहद काम की योजना है. इसके जरिए किसानों को 1.6 लाख रुपये का लोन बिना गारंटी के दिया जा रहा है. वहीं 3 साल में किसान इसके जरिए 5 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं. इस कार्ड में ब्याज दर भी बेहद कम 4 फीसदी सालाना है. लेकिन इसके लिए पीएम किसान में आपका खाता खुला होना जरूरी है. सरकार आगे करीब 2.5 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड इश्यू करने जा रही है









किन किन दस्तावेज की जरूरत पड़ेगी??

1. आईडी प्रूफ के लिए  :  वोटर ID card/ PAN कार्ड/ पासपोर्ट/

आधार कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस आदि.

2.  एड्रेसप्रूफ   : वोटर card / पासपोर्ट/आधार कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस आदि.

3. बैंक खाता की फोटो कॉपी

4. खसरा, B-1, 

5. ऋण पुस्तिका की फोटो कॉपी

6. बैंक NOC

7. मोबाइल नंबर



पीएम किसान में खाता होना जरूरी

किसान क्रेडिट कार्ड के लिए अगर आवेदन करना है तो इसके लिए पीएम किसान सम्मान निधि में अकाउंट होना जरूरी है. सिर्फ वही ग्राहक सरकार की इस योजना का फायदा ले सकते हैं.





कहां से मिल सकता है यह कार्ड

KCC किसी भी को-ऑपरेटिव बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(RRB) से हासिल किया जा सकता है.

SBI, BOI और IDBI बैंक से भी यह कार्ड लिया जा सकता है.

इन सभी बैंकों में कृषकों के लिए जिला सहकारी बैंक (co-operative bank) ही सही होता है क्युकी यहां से खाद बीज दोनों प्राप्त हो जाता है।







किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसान 5 साल में 3 लाख रुपये तक का लोन शॉर्ट टर्म लोन ले सकते हैं. वैसे तो 9 फीसदी की दर पर लोन मिलता है, लेकिन सरकार इसपर 2 फीसदी की सब्सिडी देती है. इस लिहाज से यह 7 फीसदी हुआ. वहीं अगर किसान इस लोन को समय पर लौटा देता है तो उसे 3 फीसदी की और छूट मिल जाती है. यानी इस शर्त पर उसको लोन पर महज 4 फीसदी ब्याज देना होता है।

       कृषकों की हित में तत्पर Kishanhelp@Suraj.....

धान उत्पादन की आधुनिक श्री पद्धति क्या है???

परिचय :-      श्री  पद्धति एक ऐसी तकनीक है जिसमें धान नर्सरी, रोपाई, उर्वरक, जल एवम् खरपतवार का प्रबंधन इस प्रकार किया जाता है कि धान की अधि...